एक सच्चे कवि और इन्सान राजगोपाल सिंह — विनय विश्वास
राजगोपाल सिंह का एक शेर है- ‘‘ख़ुश न हो उपलब्धियों पर, यह भी तो पड़ताल कर, नाम है, शोहरत भी है पर तू कहाँ बाक़ी रहा।’’ हर क़ीमत पर सफलता और सिर्फ़ सफलता के लिए जीना-मरना जिस दौर की हक़ीक़त हो, उसमें सफलता से दूर अपने होने की यह तलाश ख़ास तौर से … Continue reading एक सच्चे कवि और इन्सान राजगोपाल सिंह — विनय विश्वास
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